Wednesday, November 25, 2009

'अदा'.....वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें ...



फिल्म : अभिलाषा
संगीतकार : राहुल देव बर्मन.
गीतकार : मजरूह सुल्तानपुरी
आवाज़ : लता

लेकिन यहाँ ...स्वप्न मंजूषा 'अदा'

वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन ...

जब हँसेगी कली रंग वाली कोई 2
और झुक जायेगी तुमपे डाली कोई
सर झुकाए हुए तुम मुझे पाओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन ...

चल रहे जहाँ इस नज़र से परे २
वो डगर तो गुज़रती है दिल से मेरे
डगमगाते हुए तुम यही आओगे
वादियाँ मेरा दामन रास्ते मेरी बाहें
जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे
वादियाँ मेरा दामन ...


14 comments:

  1. राहुलदेव बर्मन के संगीत निर्देशन में लता जी के गाये गीत को सुना कर प्रसन्नचित्त कर दिया आपने!

    ReplyDelete
  2. बेहद ही सुन्दर गीत है आभार
    regards

    ReplyDelete
  3. waah adaji,

    चल रहे जहाँ इस नज़र से परे २
    वो डगर तो गुज़रती है दिल से मेरे
    डगमगाते हुए तुम यही आओगे

    bahut sunder gaayaa hai...

    ReplyDelete
  4. आज सुबह फिर सुनने को मिल गयी वही झंकार वाली खनकती आवाज...आपको एक बात बताऊँ..; चूँकि ब्लागिरी एक थोड़ी झटके वाली विधा है तो... जाने कितने लोग जो जल्दी से आते हैं आपकी पोस्ट पर वो ये समझते हैं कि ये आप नहीं गा रही हो 'मूल' स्वर चल रहा है...क्या करें इतनी उम्दा गायकी की उम्मीद स्वाभाविक रूप से कौन करता है...
    बेहतरीन दी..बेहतरीन..

    और हाँ; आज का सॉग-सेलेक्शन भी उम्दा....वाह..!

    ReplyDelete
  5. और कहाँ जायेंगे ...जहाँ भी जायेंगे आपके गीत खींच लायेंगे ...जैसे अभी ले आये हैं ...!!

    ReplyDelete
  6. जितने सुन्‍दर गीत के बोल उतनी ही अच्‍छी आवाज ।

    ReplyDelete
  7. अदा जी प्रणाम ..आपके गीत को सुनते हुए कमेन्ट लिखरही हूँ ..बहुत अच्छा ,मेरा पसंदीदा गीत है ये इतनी खनकदार आवाज सुनवाने के लिए धन्यवाद ..अब तो आपसे फरमाइश करना होगा ,तैयार रहिये

    ReplyDelete
  8. अदा जी,
    आपकी आवाज़ वाकई बहुत अच्छी है...और ये हमारी तरह किसी से मिलती भी नहीं...

    देखा, तारीफ़ करना हमें भी आता है...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  9. रूमानी जज्बों को बयान करता कालजयी गीत।
    इसे सुनवाकर आपने मन प्रसन्न कर दिया।
    शुक्रिया।


    ------------------
    क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
    पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।

    ReplyDelete
  10. बढियां सुर भी संगीत भी,गीत भी और लय और ताल भी !

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर गीत धन्यवाद

    ReplyDelete
  12. hnm..
    pahla comment...jaldi mein....
    manpasand geet hai meraa...aur aawaaj ki taareef k lye roj roj shabd lanaa ab mushkil hotaa ja rahaa hai...

    ReplyDelete
  13. बेहद खूबसूरत.

    रामराम.

    ReplyDelete
  14. आनन्द आ गया सुन कर.

    ReplyDelete